रक्षा बंधन का मतलब होता है "रक्षा और बंधन" अर्थात भान जब अपने भाई के कलाई मे रक्षा सूत्र बाधती है तो भाई का कर्तब्या बनाता है की बहना की पूरी तरह से रक्षा करे । इस पर्व के माध्यम से भाई-बहन के प्यार और संबंध को मजबूती से जोड़ा जाता है।बहन भाई के कलाई मे रक्षा बढ़ते समय उसकी खुशियों की कामना करती है। उसके बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा करने का प्रतिज्ञान करता है।
Raksha Bandhan badhane ka shubh muhurt
रक्षा बंधन बाधने का शुभ मुहूर्त |रक्षा बंधन बाधने से पहले आप को यह समझ ले ना चाहिए ही ईस वर्ष रक्षा बंधन बाधने का सही समय अर्थात शुभ मुहूर्त कब से कब तक है ,ईस वर्ष रक्षा बंधन हिन्दू कलेंडर के अनुसार 30 अगस्त को पर रहा है |
लेकिन 30 अगस्त को पूर्णिमा शुरू होने के साथ - साथ भद्राकाल भी आरम्भ हो जा रहा है , अतः भद्राकाल एक एसा समय है जिसमे कोई भी शुभ कार्य करना निषेध माना जाता है |
कहा जाता है की रावण की बहन भी ईसी काल मे राखी बाधी थी ईसलिए यह रावण और बहन के बीच अंतिम रक्षा बांधन का तेवहार था और उसकी मृतु हो गया |

रक्षा बंधन बाधने का सही समय
भद्राकाल रात को 9:02 पर समाप्त होने के बाद रक्षा बंधन बाधने का सही समय है यह शुभ समय 9:02 मिनट से 11:30 मिनट तक रहेगा ईस समय अंतराल मे सभी बहाने अपने भाई को रक्षा सूत्र बाध सकती है |जो बहने अपने भाई को ईस समय अंतराल राखी नही बांध पाती है तो वह अगले दिन पूर्णिमा समाप्त होने के बाद ब्रम्ह मुहूरत मे राखी का तेवहार मना सकते है |
इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के आपसी प्यार और समर्थन को दर्शाना है। रक्षा बंधन के साथ ही भाई का भी एक महत्वपूर्ण कर्तव्य होता है कि वह अपनी बहन की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रहे।
इस पर्व का महत्व केवल हिन्दू धर्म में ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय समृद्धि और एकता की प्रतीक भी है, जो समाज में परिवार के सदस्यों के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है।
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