उत्तरकाशी बादल फटने की त्रासदी – 5 अगस्त 2025
5 अगस्त 2025 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली और हर्षिल क्षेत्र में भीषण बादल फटने (Cloudburst) की घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। कुछ ही सेकंडों में आए इस जलप्रलय ने गांवों, सड़कों और प्राचीन मंदिरों को तबाह कर दिया।
त्रासदी का स्वरूप
धराली गांव और आस-पास के क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश के बाद अचानक पानी का सैलाब आया, जिससे:
- 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई
- 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं
- गंगोत्री हाईवे का एक बड़ा हिस्सा बह गया
- कल्प केदार मंदिर मलबे में दब गया
सिर्फ 17 सेकंड के भीतर आए इस जलप्रलय ने साबित कर दिया कि हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएँ कितनी घातक हो सकती हैं।
राहत और बचाव कार्य
आपदा के तुरंत बाद NDRF, SDRF, ITBP और भारतीय सेना ने बचाव कार्य शुरू किए।
- 150 से अधिक जवान प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किए गए।
- हर्षिल स्थित सेना कैंप भी प्रभावित हुआ, 10 जवान लापता बताए गए।
- एयरफोर्स हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू और राहत सामग्री पहुंचाई गई।
- हेल्पलाइन नंबर 9456556431 जारी किया गया।
प्रशासनिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलिकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी दुख व्यक्त करते हुए राज्य को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
आपदा से सीख और भविष्य की तैयारी
यह त्रासदी हमें बताती है कि हिमालयी क्षेत्र में निर्माण और यात्रा के लिए सावधानी, बेहतर आपदा प्रबंधन और मौसम पूर्वानुमान तंत्र की आवश्यकता है।
- स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देना जरूरी।
- चारधाम यात्रा और पर्यटन क्षेत्रों में मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर और अलर्ट सिस्टम।
- पर्यावरणीय संतुलन और वनों की सुरक्षा पर ध्यान।
निष्कर्ष
उत्तरकाशी की यह आपदा सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हमें पर्यावरण और आपदा प्रबंधन के प्रति और गंभीर होना होगा। संवेदनशील क्षेत्रों में योजनाबद्ध विकास, सतर्कता और मानवीय संवेदनशीलता ही हमें भविष्य की त्रासदियों से बचा सकती है।
स्रोत: NBT, Live Hindustan, YouTube लाइव कवरेज
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