Hartalika Teej Vrat 2025 (हरतालिका तीज)
प्रातःकाल पूजन: 05:56–08:31
तृतीया: 25 अगस्त 12:34 PM → 26 अगस्त 1:54 PM
व्रत कथा (संक्षेप)
पार्वती जी ने हिमालय पर कठोर तप करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। कथा अनुसार, पार्वती जी की सखी (हरितालिका) उन्हें पिता के घर से वन में ले गईं ताकि उनका अन्यत्र विवाह न हो। वहाँ पार्वती जी ने रेत की शिवलिंग को स्थापित कर निर्जला व्रत रखते हुए रात्रि-जागरण किया। शिवजी प्रसन्न होकर वरदान देते हैं और पार्वती जी को अपनी अर्धांगिनी स्वीकार करते हैं। इसी उपलक्ष्य में यह व्रत श्रद्धापूर्वक किया जाता है।
शुभ मुहूर्त व तिथि (भारत)
घटना | समय/तिथि |
---|---|
व्रत/पूजा तिथि | मंगलवार, 26 अगस्त 2025 |
प्रातःकाल पूजन मुहूर्त | 05:56 AM – 08:31 AM |
तृतीया तिथि प्रारम्भ | 25 अगस्त, 12:34 PM |
तृतीया तिथि समाप्त | 26 अगस्त, 1:54 PM |
पूजा विधि (स्टेप-बाय-स्टेप)
- संकल्प: स्नान कर पीले/हरे वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- घट/वेदिका: स्वच्छ आसन पर शिव-पार्वती की प्रतिमा/चित्र रखें; रेत/मिट्टी का शिवलिंग स्थापित करें।
- आवाहन: दीप प्रज्वलित कर गणेश वंदना, फिर शिव-पार्वती आवाहन।
- पूजन: रोली, अक्षत, पंचामृत, बिल्वपत्र, धतूरा/सांवरी सामग्री, हरी चूड़ियाँ/वस्त्र अर्पित करें।
- व्रत कथा श्रवण: पार्वतीजी की तप-कथा पढ़ें/सुनें।
- रात्रि-जागरण/भजन: संभव हो तो कीर्तन/ध्यान।
- उदीयमान सूर्य के बाद पारण: अगले दिन ब्राह्मण/कन्या को दान देकर व्रत का पारण करें (यदि निर्जला असुविधाजनक हो तो जल-फल ले सकते हैं—स्वास्थ्य के अनुसार)।
व्रत के नियम व सावधानियाँ
- परंपरानुसार यह व्रत अक्सर निर्जला रखा जाता है, परंतु स्वास्थ्य सर्वोपरि है—डॉक्टर की सलाह लें।
- सात्त्विक आचरण, संयम, और असत्य/अनादर से दूर रहें।
- हाथ जोड़कर शिव-पार्वती से वैवाहिक सौख्य, दृढ़ दांपत्य, मनोवांछित वर की प्रार्थना करें।
- स्थानीय परंपराओं (सोलह श्रृंगार, गीत/नृत्य) का सम्मानपूर्वक पालन करें।
व्रत के लाभ (आध्यात्मिक/सांस्कृतिक)
- शिव-पार्वती की कृपा, वैवाहिक समृद्धि व सौभाग्य की कामना।
- स्वअनुशासन, संयम और भक्ति में वृद्धि।
- परिवार/समाज में सौहार्द और पारंपरिक लोक-संस्कृति का संवर्धन।
यह व्रत कौन रखें?
- विवाहित महिलाएँ—दांपत्य सौख्य व दीर्घायु हेतु।
- अविवाहित कन्याएँ—उत्तम जीवनसाथी की मंगलकामना से।
- परिवारजन श्रद्धा से सहभागिता कर सकते हैं (कथा/कीर्तन/दान)।
किसे व्रत नहीं रखना चाहिए? (या सावधानी से)
- गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएँ,
- मधुमेह, किडनी/हृदय/हाई BP, अल्सर, या लंबे समय की दवाइयों पर चल रहे लोग,
- वृद्ध/कमज़ोर/डिहाइड्रेशन प्रवृत्ति—विशेषकर निर्जला व्रत से बचें।
डिस्क्लेमर: यह धार्मिक/सांस्कृतिक मार्गदर्शिका है; स्वास्थ्य संबंधी निर्णय अपने चिकित्सक की सलाह से ही लें।
FAQ
प्रश्न: व्रत पारण कब करें?
उत्तर: कथा/पूजन के उपरान्त, अगले दिन प्रातः उचित समय पर, जल/फल से पारण करें; दान-दक्षिणा देना शुभ माना गया है।
प्रश्न: क्या पुरुष व्रत रख सकते हैं?
उत्तर: परंपरा महिलाओं से जुड़ी है, पर श्रद्धालु पुरुष भी शिव-पूजन/उपवास/सेवा में सहभागी हो सकते हैं।
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